Description:सुप्रसिद्ध डॉक्टर एवं शोधकर्ता डॉ अंजना शर्मा की असामयिक मृत्यु उनके विद्यार्थी और शोध छात्र संजीव त्रिपाठी को एक बहुत बड़ा सदमा पहुंचाती है। उसकी थीसिस अधूरी रह जाती है। परन्तु उसकी नियति ने उसके लिए कुछ और रचा हुआ था और शीघ्र ही उसे ज्ञात होता है कि उसकी गुरु उसके लिए एक रहस्यमयी बॉक्स और एक हनुमान चालीसा की प्रति छोड़ गईं हैं और उसे लगता है कि हो न हो इसका सम्बन्ध उसकी थीसिस से है। परन्तु उस तिलिस्मी बॉक्स में छिपे रहस्य की परतों को खोलते हुए संजीव चिकित्सा विज्ञान की एक बहुत बड़ी पहेली को हल करने के मार्ग पर निकल पड़ता है। एक आधुनिक समय की मिथकीय रहस्य कथा, जोकि प्राचीन वेदों और मान्यताओं का एक नए तरीके से वर्णन करती है और उन्हें एक नए परिप्रेक्ष्य में सामने लाती है। डॉ रुनझुन सक्सेना शुभानंद ओरल मेडिसिन और रेडियोलोजी में एम डी एस हैं. उन्हें लेखन का शौक बचपन से ही रहा है, जिसके लिए उन्हें स्कूल के दौरान शंकर विश्व बाल प्रतियोगिता में दो बार सिल्वर मैडल से सम्मानित किया गया था. खाली वक़्त में लेखनी के अलावा उन्हें पेंटिंग, हस्तकला, फोटोग्राफी व सितार बजाने का शौक है.