vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 1 of 19 20वीं शता(cid:222)दी के (cid:302)े(cid:437) िच(cid:219)तक, ओज(cid:232)वी लेखक, तथा यश(cid:232)वी वक्ता एवं (cid:232)वतंत्र भारत के प्रथम कानून मत्रं ी डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय सिं वधान के प्रमखु िनमार्णकतार् ह(cid:583)। िविध िवशषे ज्ञ, अथक पिर(cid:302)मी एवं उ(cid:215)कृ(cid:436) कौशल के धनी व उदारवादी, पर(cid:219)तु स(cid:506)ु ण (cid:229)यिक्त के (cid:510)प म(cid:581) डॉ. आंबेडकर ने सिं वधान के िनमार्ण म(cid:581) मह(cid:215)वपूण र् योगदान िदया। डॉ. आंबेडकर को भारतीय सिं वधान का जनक भी माना जाता है। छुआ-छूत का प्रभाव जब सारे देश म(cid:581) फैला हुआ था, उसी दौरान 14 अप्रैल, 1891 को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का ज(cid:219)म हुआ था। बचपन से ही बाबा साहेब ने छुआ-छूत की पीङा महससू की थी। जाित के कारण उ(cid:219)ह(cid:581) स(cid:232)ं कृत भाषा पढने से वंिचत रहना पड़ा था। कहते ह(cid:583), जहाँ चाह है वहाँ राह है। प्रगितशील िवचारक एवं पूण(cid:510)र् प से मानवतावादी बङौदा के महाराज सयाजी गायकवाङ ने भीमराव जी को उ(cid:205)च िशक्षा हेतु तीन साल तक छात्रव(cid:419)ृ ी प्रदान की, िक(cid:219)तु उनकी शत र् थी की अमेिरका से वापस आने पर दस वष र् तक बङौदा रा(cid:207)य की सेवा करनी होगी। भीमराव ने कोलि(cid:224)बया िव(cid:435)िवद्यालय से पहले एम. ए. तथा बाद म(cid:581) पी.एच.डी. की िडग्री प्रा(cid:431) की । उनके शोध का िवषय “भारत का रा(cid:438)ीय लाभ” था। इस शोध के कारण उनकी बहुत प्रशंसा हुई। उनकी छात्रविृ (cid:419) एक वष र् के िलये और बढा दी गई। चार वष र् पूण र् होने पर जब भारत वापस आये तो बङौदा म(cid:581) उ(cid:219)हे उ(cid:205)च पद िदया गया िक(cid:219)तु कुछ सामािजक िवडबं ना की वजह से एवं आवािसय सम(cid:232)या के कारण उ(cid:219)ह(cid:581) नौकरी छोङकर ब(cid:224)बई जाना पङा। ब(cid:224)बई म(cid:581) सीडने हम कॉलेज म(cid:581) अथशर् ा(cid:440) के प्रोफेसर िनयक्तु हुए िक(cid:219)तु कुछ सकं ीण र् िवचारधारा के कारण वहा ँ भी परेशािनय(cid:585) का सामना करना पङा। इन सबके बावजूद आ(cid:215)मबल के धनी भीमराव आगे बढते रहे। उनका (cid:506)ण िव(cid:435)ास था िक मन के हारे, हार है, मन के जीते जीत। 1919 म(cid:581) वे पुनः लदं न चले गये। अपने अथक पिर(cid:302)म से एम.एस.सी., डी.एस.सी. तथा बैिर(cid:232)ट्री की िडग्री प्रा(cid:431) कर भारत लौटे। 1923 म(cid:581) ब(cid:224)बई उ(cid:205)च (cid:219)यायालय म(cid:581) वकालत शु(cid:509) की अनेक कठनाईय(cid:585) के बावजदू अपने काय र् म(cid:581) िनरंतर आगे बढते रहे। एक मकु दमे म(cid:581) उ(cid:219)होने अपने ठोस तक(cid:607) से अिभयुक्त को फांसी की सजा से मक्तु करा िदया था। उ(cid:205)च (cid:219)यायालय के (cid:219)यायाधीश ने िनचली अदालत के फैसले को र(cid:423) कर िदया। इसके प(cid:433)ात बाबा साहेब की प्रिसद्धी म(cid:581) चार चाँद लग गया। डॉ. आंबेडकर की लोकतंत्र म(cid:581) गहरी आ(cid:232)था थी। वह इसे मानव की एक पद्धित (Way of Life) मानते थे। उनकी (cid:506)(cid:436)ी म(cid:581) रा(cid:207)य एक मानव िनिमतर् स(cid:232)ं था है। इसका सबसे बङा काय र् “समाज की आ(cid:219)तिरक अ(cid:229)यव(cid:232)था और बा(cid:443) अितक्रमण से रक्षा करना है।“ पर(cid:219)तु वे रा(cid:207)य को िनरपेक्ष शिक्त नही मानते थे। उनके अनुसार- “िकसी भी रा(cid:207)य ने एक ऐसे अकेले समाज का (cid:510)प धारण नही ं िकया िजसम(cid:581) सब कुछ आ जाय या रा(cid:207)य ही प्र(cid:215)येक िवचार एवं िक्रया का (cid:304)ोत हो।“ vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 2 of 19 अनेक क(cid:436)(cid:585) को सहन करते हुए, अपने किठन सघं षर् और कठोर पिर(cid:302)म से उ(cid:219)ह(cid:585)ने प्रगित की ऊं चाइय(cid:585) को (cid:232)पश र् िकया था। अपने गणु (cid:585) के कारण ही सिं वधान रचना म(cid:581), सिं वधान सभा द्वारा गिठत सभी सिमितय(cid:585) म(cid:581) 29 अग(cid:232)त, 1947 को “प्रा(cid:510)प-सिमित” जो िक सवार्िधक मह(cid:215)वपूण र् सिमित थी, उसके अ(cid:218)यक्ष पद के िलये बाबा साहेब को चुना गया। प्रा(cid:510)प सिमित के अ(cid:218)यक्ष के (cid:510)प म(cid:581) डॉ. आंबेडकर ने मह(cid:215)वपूण र् भिू मका का िनवार्ह िकया। सिं वधान सभा म(cid:581) सद(cid:232)य(cid:585) द्वारा उठायी गयी आपि(cid:419)य(cid:585), शंकाओं एवं िजज्ञासाओं का िनराकरण उनके द्वारा बङी ही कुशलता से िकया गया। उनके (cid:229)यिक्त(cid:215)व और िच(cid:219)तन का सिं वधान के (cid:232)व(cid:510)प पर गहरा प्रभाव पङा। उनके प्रभाव के कारण ही सिं वधान म(cid:581) समाज के पद-दिलत वग(cid:607), अनुसिू चत जाितय(cid:585) और जनजाितय(cid:585) के उ(cid:215)थान के िलये िविभ(cid:219)न सवं ैधािनक (cid:229)यव(cid:232)थाओ ं और प्रावधान(cid:585) का िन(cid:509)पण िकया ; पिरणाम (cid:232)व(cid:510)प भारतीय सिं वधान सामािजक (cid:219)याय का एक महान द(cid:232)तावेज बन गया। 1948 म(cid:581) बाबा साहेब मधुमेह से पीिड़त हो गए । जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो नैदािनक अवसाद और कमजोर होती (cid:506)ि(cid:436) से भी ग्र(cid:232)त रहे । अपनी अंितम पांडुिलिप बुद्ध और उनके ध(cid:224)म को पूरा करने के तीन िदन के बाद 6 िदसंबर 1956 को अ(cid:224)बेडकर इह लोक (cid:215)यागकर परलोक िसधार गये। 7 िदसंबर को बौद्ध शलै ी के अनुसार अंितम सं(cid:232)कार िकया गया िजसम(cid:581) सैकड़(cid:585) हजार(cid:585) समथकर् (cid:585), कायकर् तार्ओं और प्रशसं क(cid:585) ने भाग िलया। भारत र(cid:420) से अलंकृत डॉ. भीमराव अ(cid:224)बेडकर का अथक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता , ध(cid:219)य है वो भारत भूिम िजसने ऐसे महान सपूत को ज(cid:219)म िदया । Ckck lkgsc dks vkSj muds dk;kZs dks Hkkjr lnk ;kn j[ksxkAiwjs Hkkjr esa MkW- Hkhejko jketh vEcsMdj th dh iq.; t;arh dks ,d jk"Vªh; fnol ds :i esa v;ksftr fd;k x;kA bl volj ij fu¶V dkaxMk esa Hkh t;arh dks vk;ksftr fd;k x;kA dk;ZØeksa dk fooj.k vkxs ds i`"Bksa ij fn;k x;k gSA vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 3 of 19 1- vkn'kZ okD; ys[ku dk;ZØe% t;arh ds volj ij dbZ deZpkfj;ksa us lQsn cksMZ ij MkW0 Hkhe jko vacsMdj ls lEcaf/kr vkn'kZ okD; fy[k dj lHkh ds fy, viuk lans'k o Hkkouk, izdV dh ftldh dqN rlohjs uhps nh xbZ gS fp= la[;k 01% cksMZ ij vkn'kZ okD; fy[krs izk/;kid vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 4 of 19 fp= la[;k 02% cksMZ ij vkn'kZ okD; fy[krs izk/;kid fp= la[;k 03% cksMZ ij vkn'kZ okD; fy[krs deZpkjh vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 5 of 19 fp= la[;k 04% cksMZ ij vkn'kZ okD; fy[krs deZpkjh fp= la[;k 05% cksMZ ij vkn'kZ okD; fy[krs deZpkjh vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 6 of 19 fp= la[;k 05% cksMZ ij deZpkfj;ksa }kjk fyf[kr vkn'kZ okD; vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 7 of 19 2- t;arh ds volj ij dSail funs'kd dh v/;{krk esa cSBd% fnukad 14-04-2017 dks lka; dky ds le; dSail funs'kd izks0 ,l- ds- ckyk fl)kZFkk dh v/;{krk esa izk/;kidksa] deZpkfj;ksa ,oa fo|kfFkZ;ksa ds cSBd dk vk;kstu fd;k x;kA cSBd esa MkW- nhid tks'kh th us ckck lkgsc ds thou ls tqMs rF;ks ds ckjs lHkh dks tkudkfj;ka nhA dSail funs'kd izks0 ,l- ds- ckyk fl)kFZ kk th us lHkh dks lEcksf/kr djrs gq, vius fopkj izdV fd, vkSj fo|kfFkZ;ksa dks ckck lkgsc ds ckjs dbZ jkpd rF; fo|kfF;ksa dks crk;kA blds vfrfjDr funs'kd egksn; us fo|kfFkZ;ksa dks ckck lkgsc ds thou ls izsj.kk ysus dk lans'k Hkh fo|kfFkZ;ksa dks fn;k vkSj crk;k fd fdl izdkj ckck lkgsc us dfBu ifjfLFkfr;ksa esa Hkh lkgl dk lkFk u NksM dj lQyrk gkfly dhA bl volj ij dSail dh Nk=k bI'khrk us Hkh ckck lkgsc ds thou ls tqMs dbZ rF;ksa ij vius fopkj j[ksA vk;ksftr cSBd dh dqN rLohjs uhps nha xbZ gS vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 8 of 19 fp= la[;k 06% cSBd ds nkSjku vius fopkj j[krs MkW- nhid tks'kh] izk/;kid fp= la[;k 07% cSBd ds nkSjku vius fopkj j[krs MkW- nhid tks'kh] izk/;kid vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 9 of 19 fp= la[;k 08% cSBd ds nkSjku vius fopkj j[krs MkW- nhid tks'kh] izk/;kid fp= la[;k 09% cSBd ds nkSjku vius fopkj j[krs MkW- nhid tks'kh] izk/;kid fp= la[;k 10% cSBd ds nkSjku vius fopkjksa ls lHkh dks lEcksf/kr djrh Nk=k bfI'krk ik=k vEcsMdj t;arh 2017 % fu¶V dkaxM+k fgekpy izns'k dh ,d fjiksVZ Page 10 of 19
Description: