ebook img

2018 -Shri Ramcharitra Manas PDF

2018·16.6 MB·Hindi
Save to my drive
Quick download
Download
Most books are stored in the elastic cloud where traffic is expensive. For this reason, we have a limit on daily download.

Preview 2018 -Shri Ramcharitra Manas

|| श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 1 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस ( टीकाकार - श्रीहनुमानप्रसाद पोद्दार ) New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 2 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० क्रम दोहा पृष्ठ स०ं पृष्ठ स०ं चवषय स०ं स े तक स०ं 1 बालकाण्ड - प्रथम सोपान 361 21 572 2 अयोध्याकाण्ड- द्वितीय सोपान 326 573 1058 3 अरण्य काण्ड - तृतीय सोपान 46 1059 1153 - 30 1154 1209 4 ककचककन्धा काण्ड ितुथ थ सोपान 5 सुन्दर काण्ड - पंिम सोपान 60 1210 1306 6 लंका काण्ड - षष्ठ सोपान 121 1307 1528 7 उत्तर काण्ड - सप्तम सोपान 130 1529 1776 कुल दोहा संख्या 1074 New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 3 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० 1 चवषय सूिी का संचिप्त चववरण 2 2 चवषय सूिी - सम्पूण थ सातों काण्ड की 3 3 नवाह्नपारायण के चवश्राम स्थान 14 4 मासपारायण के चवश्राम स्थान 14 5 गोस्वामी तुलसीदासजी की संचिप्त जीवनी 16 ........................................................................................................................................................................................................................................................................... 1 बालकाण्ड - प्रथम सोपान कुल दोहा = 361 6 मंगलािरण प्रारम्भ - 22 7 गुरु-वन्दना - - 25 8 ब्राह्मण-संत-वन्दना 2 2 27 9 खल-वन्दना 1 4 32 10 संत-असंत वन्दना 2 5 34 11 रामरूप स े जीवमात्र की वन्दना - 7 (ग) 40 12 तुलसीदासजी की दीनता और राम भचिमयी कचवता की मचहमा 2 8 40 13 कचव वन्दना 2 14 (क) 53 14 वाल्मीकक, वेद, ब्रह्मा, दवे ता, चिव, पावथती आकद की वन्दना - 14 (घ) 55 15 श्रीसीताराम-धाम-पररकर-वन्दना 1 16 58 16 श्रीनाम-वन्दना और नाम मचहमा 1 19 63 17 श्रीराम गुण और श्रीरामिररत की मचहमा 2 28 (क) 78 18 मानसचनमाथण की चतचथ 2 34 90 19 मानस का रूपक और माहातम्य - 35 93 20 याज्ञवल््य-भरद्वाज-संवाद तथा प्रयाग-माहात्मम्य - 43 (ख) 107 21 सती का भ्रम, श्रीरामजी का ऐश्वयथ और सती का खेद 4 47 112 22 चिवजी द्वारा सती का त्मयाग, चिवजी की समाचध - 56 125 23 सती का दि-यज्ञ में जाना - 60 131 New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 4 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० 24 पचत के अपमान स े दखु ी होकर सती का योगाचि स े जल जाना, - 63 135 दि-यज्ञ-चवध्वंस 25 पावथती का जन्म और तपस्या 3 65 138 26 श्रीरामजी का चिवजी से चववाह के चलये अनुरोध - 76 152 27 सप्तऋचषयों की परीिा में पावथतीजी का महत्मव - 77 154 28 कामदवे का दवे कायथ के चलये जाना और भस्म होना 2 84 163 29 रचत को वरदान - 87 169 30 दवे ताओं का चिवजी से ब्याह के चलये प्राथथना करना, - 88 171 सप्तऋचषयों का पावथती के पास जाना 31 चिवजी की चवचित्र बारात और चववाह की तैयारी - 91 175 32 चिवजी का चववाह - 100 190 33 चिव-पावथती-संवाद - 106 200 34 अवतार के हते ु - 120 (ख) 220 35 नारद का अचभमान और माया का प्रभाव - 127 230 36 चवश्वमोचहनी का स्वयंवर, चिव-गणों को तथा भगवान को िाप - 130 235 और नारद का मोह-भंग 37 मनु-ितरूपा-तप एवं वरदान - 141 249 38 भानुप्रताप की कथा 1 153 265 39 रावणाकद का जन्म, तपस्या और उनका ऐश्वयथ तथा अत्मयािार - 175 295 40 पृथ्वी और दवे ताकद की करुण पुकार 1 184 307 41 भगवान का वरदान - 186 313 42 राजा दिरथ का पुत्रेचि यज्ञ, राचनयो ोँ का गभथवती होना 3 188 315 43 श्री भगवान का प्राकट्य और बाल लीला का आनन्द - 190 319 44 चवश्वाचमत्र का राजा दिरथ से राम-लक्ष्मण को माोँगना, ताड़का - 205 340 वध 45 चवश्वाचमत्र-यज्ञ की रिा - 209 346 46 अहल्या-उद्धार 6 210 348 New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 5 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० 47 श्रीराम-लक्ष्मण सचहत चवश्वाचमत्र का जनकपुर में प्रवेि 1 212 351 48 श्रीराम-लक्ष्मण को दखे कर जनकजी की प्रेममुग्धता - 215 356 49 श्रीराम-लक्ष्मण का जनकपुर चनरीिण - 218 361 50 पुकपवारटका-चनरीिण, सीताजी का प्रथम दिथन, श्रीसीता- - 226 372 रामजी का परस्पर दिथन 51 श्रीसीताजी का पावथती पूजन एवं वरदान प्राचप्त तथा राम- - 234 383 लक्ष्मण संवाद 52 श्रीराम-लक्ष्मण सचहत चवश्वाचमत्र का यज्ञिाला में प्रवेि 1 240 391 53 श्रीसीताजी का यज्ञिाला में प्रवेि - 246 401 54 वन्दीजनों द्वारा जनकप्रचतज्ञा की घोषणा 4 249 406 55 राजाओं से धनुष न उठना, जनककी चनरािाजनक वाणी 4 249 406 56 श्रीलक्ष्मणजी का क्रोध 4 252 410 57 धनुषभंग 4 261 422 58 जयमाल पहनाना, परिुराम का आगमन व क्रोध - 262 425 59 श्रीराम-लक्ष्मण और परिुराम संवाद 1 271 436 60 दिरथजी के पास जनकजी का दतू भेजना, अयोध्या स े बारात - 286 458 का प्रस्थान 61 बारात का जनकपुर में आना और स्वगाताकद 1 305 482 62 श्रीसीता-राम चववाह छन्द 517 509 63 बारात का अयोध्या लौटना और अयोध्या में आनन्द 4 343 546 64 श्रीरामिररत सुनन-े गान े की मचहमा - 361 571 ........................................................................................................................................................................................................................................................................... 2 अयोध्याकाण्ड – चद्वतीय सोपान कुल दोहा = 326 65 मंगलािरण प्रारम्भ - 574 66 रामराज्याचभषेक की तैयारी, दवे ताओं की व्याकुलता तथा - 1 576 सरस्वती स े उनकी प्राथथना ं 67 सरस्वती का मन्थरा की बुचद्ध फेरना, कैकेयी-मन्थरा-संवाद - 12 592 New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 6 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० 68 कैकेयी का कोपभवन में जाना - 22 607 69 दिरथ-कैकेयी-संवाद और दिरथ-िोक, सुमन्त्र का महल में छन्द 25 611 जाना और वहाोँ स े लौटकर श्रीरामजी को महल में भेजना 70 श्रीराम-कैकेयी-संवाद 2 40 633 71 श्रीराम-दिरथ-संवाद, अवधवाचसयों का चवषाद, कैकेयी को - 43 638 समझाना 72 श्रीराम-कौसल्या-संवाद 4 51 650 73 श्रीसीता-राम-संवाद 1 61 664 74 श्रीराम-कौसल्या-सीता-संवाद 3 68 674 75 श्रीराम-लक्ष्मण-संवाद 1 70 676 76 श्रीलक्ष्मण-सुचमत्रा संवाद 2 73 681 77 श्रीरामजी, लक्ष्मणजी, सीताजी का महाराज दिरथ के पास 4 76 686 चवदा माोँगन े जाना, दिरथजी का सीताजी को समझाना 78 श्रीराम-सीता-लक्ष्मण का वन गमन और नगरवाचसयों को सोये - 79 691 छोड़कर आगे बढना 79 श्रीराम का िृंगवेरपुर पहिोँ ना, चनषाद के द्वारा सेवा - 87 702 80 लक्ष्मण-चनषाद-संवाद, श्रीराम-सीता से सुमन्त्र का संवाद, 2 92 709 सुमन्त्र का लौटना 81 केवट का प्रेम और गंगा-पार जाना 1 100 720 82 प्रयाग पहिोँ ना, भरद्वाज-संवाद यमुनातीर-चनवाचसयों का प्रेम - 104 728 83 तापस-प्रकरण 4 110 736 84 यमुना को प्रणाम, वनवाचसयों-का प्रेम - 111 738 85 श्रीराम-वाल्मीकक-संवाद 3 124 757 86 चित्रकूट में चनवास, कोल-भीलों के द्वारा सेवा 1 132 769 87 सुमन्त्र का अयोध्या लौटना और सवथत्र िोक दखे ना - 143 785 88 दिरथ-सुमन्त्र-संवाद, दिरथ मरण - 148 793 89 मुचन वचसष्ठ का भरतजी को बुलाने के चलये दतू भेजना - 156 804 New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 7 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० 90 श्री भरत-ित्रुघ्न का आगमन और िोक 1 159 807 91 भरत-कौसल्या-संवाद और दिरथजी की अंत्मयेचि-कक्रया - 163 814 92 वचसष्ठ-भरत-संवाद, श्रीरामजी को लान े के चलये चित्रकूट जान े - 169 822 की तैयारी 93 अयोध्यावाचसयों सचहत श्रीभरत-ित्रुघ्न आकद का वन गमन - 185 845 94 चनषाद की िंका और सावधानी 1 189 850 95 भरत-चनषाद-चमलन और संवाद और भरतजी का और - 193 857 नगरवाचसयों का प्रेम 96 भरतजी का प्रयाग जाना और भरत-भरद्वाज-संवाद - 203 873 97 भरद्वाज द्वारा भरत का सत्मकार - 212 886 98 इन्र-बृहस्पचत-संवाद 4 217 894 99 भरतजी चित्रकूट के माग थ में 3 220 898 100 श्रीसीताजी का स्वप्न, श्रीरामजी को कोल-ककरातों द्वारा भरतजी 2 226 907 के आगमन की सूिना, श्रीरामजी का िोक, लक्ष्मणजी-का क्रोध 101 श्रीरामजी का लक्ष्मणजी को समझाना एवं भरतजी की मचहमा 3 231 915 कहना 102 भरतजी का मन्दाककनी-स्नान, चित्रकूट में पहिोँ ना, भरताकद 2 233 917 सबका परस्पर चमलाप, चपता का िोक और श्राद्ध 103 वनवाचसयों द्वारा भरतजी की मण्डली का सत्मकार, कैकेयी का - 249 942 पश्चाताप 104 श्रीवचसष्ठजी का भाषण - 253 949 105 श्रीराम-भरताकद का संवाद - 258 956 106 जनकजी का पहिोँ ना, कॉल-ककराताकद की भेंट, सबका परस्पर - 274 979 चमलाप 107 कौसल्या-सुनयना संवाद, श्रीसीताजी का िील - 280 988 108 जनक-सुनयना-संवाद, भरतजी की मचहमा - 287 999 109 जनक-वचसष्ठाकद-संवाद, इन्र की चिन्ता, सरस्वती का इन्र को 3 291 1004 New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 8 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० समझाना 110 श्रीराम-भरत-संवाद - 296 1012 111 भरतजी का तीथ-थ जल-स्थापन तथा चित्रकूट भ्रमण - 309 1032 112 श्रीराम-भरत-संवाद, पादकु ा प्रदान, भरतजी की चवदाई 1 313 1037 113 भरतजी का अयोध्या लौटना, भरतजी द्वारा पादकु ा की - 321 1050 स्थापना, नचन्दग्राम में चनवास और श्रीभरतजी के िररत्र-श्रवण की मचहमा ........................................................................................................................................................................................................................................................................... 3 अरण्य काण्ड – तृतीय सोपान कुल दोहा = 46 114 मंगलािरण प्रारम्भ - 1060 115 जयन्त की कुरटलता और फल प्राचप्त 2 1 1061 116 अचत्र-चमलन एवं स्तुचत 2 3 1065 117 श्रीसीता-अनसूया-चमलन और श्रीसीताजी को अनसूयाजी का 1 5 (क) 1069 पाचतव्रत धमथ कहना 118 श्रीरामजी का आगे प्रस्थान, चवराध वध और िरभंग प्रसंग 1 7 1074 119 रािस-वध की प्रचतज्ञा करना - 9 1078 120 सुतीिणजी का प्रेम, अगस्त्मय-चमलन, अगस्त्मय-संवाद, रामका - , 8 9, 13 1078, दण्डकवन-प्रवेि और जटाय-ु चमलन 1089 121 पञ्चवटी-चनवास और श्रीराम-लक्ष्मण संवाद 8 13 1089 122 िूपथणखा की कथा, िूपथणखा का खरदषू ण के पास जाना और 2 17 1095 खरदषू णादी का वध 123 िूपथणखा का रावण के चनकट जाना, श्रीसीताजी का अचि-प्रवेि 3 21 (क) 1107 और माया-सीता 124 मारीि-प्रसंग और स्वणथमृग-रूप में मारीि का मारा जाना - 24 1112 125 श्रीसीता-हरण और श्रीसीता-चवलाप 4 28 1118 126 जटायु-रावण-युद्ध, अिोक वारटका में सीताजी को रखना 4 29 (क) 1121 127 श्रीरामजी का चवलाप, जटायु का प्रसंग - 29 (ख) 1123 New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 9 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० 128 कबन्ध-उद्धार 3 33 1131 129 िबरी पर कृपा, नवधा-भचि-उपदिे और पम्पासर-की ओर 3 34 1132 प्रस्थान 130 नारद-राम-संवाद 3 41 1143 131 संतों के लिण और सत्मसंग-भजन के चलए प्रेरणा 2 45 1149 ........................................................................................................................................................................................................................................................................... 4 ककचककन्धा काण्ड - ितुथ थ सोपान कुल दोहा = 30 132 मंगलािरण प्रारम्भ - 1155 133 श्रीरामजी स े हनुमानजी का चमलना और श्रीराम-सुग्रीव-की 1 1 1156 चमत्रता 134 सुग्रीव का दुःुख सुनाना, बाचलवध की प्रचतज्ञा, श्रीरामजी का - 4 1162 चमत्र-लिण-वणथन 135 सुग्रीव का वैराग्य 6 7 1168 136 बाचल-सुग्रीव-युद्ध, बाचल-उद्धार, (137) तारा का चवलाप - 7 1171 137 तारा को श्रीरामजी द्वारा उपदिे और सुग्रीव का राज्याचभषेक 2 11 1176 तथा अंगद को युवराज पद 138 वषाथ-ऋत-ु वणथन - 12 1179 139 िरद-ऋत-ु वणथन 1 16 1184 140 श्रीरामजी की सुग्रीव पर नाराजी, लक्ष्मणजी का कोप 1 18 1187 141 सुग्रीव-राम-संवाद और सीताजी की खोज के चलये बंदरों का - 20 1191 प्रस्थान 142 गुफा में तपचस्वनी के दिथन 2 24 1196 143 वानरों का समुंरतट पर आना, सम्पाती से भेंट और बातिीत 2 24 1197 144 समुंर लाोँघन े का परामि,थ जाम्ब्वन्त का हनुमानजी को बल याद - 28 1204 कदलाकर उत्मसाचहत करना 145 श्रीराम-गुण का माहात्मम्य - 28 1204 ........................................................................................................................................................................................................................................................................... New Format-JLM-2018 || श्री हरर: || गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचररतमानस चवषय सूिी PAGE ( 10 ) क्रम िौपाई दोहा स०ं पृष्ठ स०ं चवषय सं० सं० 5 सुन्दर काण्ड – पंिम सोपान कुल दोहा = 60 146 मंगलािरण प्रारम्भ - 1211 147 हनुमानजी का लंका को प्रस्थान, सुरसा स े भेंट, छाया पकड़न े 1 1 1212 वाली रािसी-का वध 148 लंका-वणथन, लंककनी-वध, लंका में प्रवेि 4 3 1217 149 हनुमान-चवभीषण-संवाद - 5 1221 150 हनुमानजी का अिोक-वारटका में सीताजी को दखे कर दखु ी 3 8 1225 होना और रावण का सीताजी को भय कदखलाना 151 श्री-सीता-चत्रजटा-संवाद - 11 1230 152 श्रीसीता-हनुमान-संवाद - 12 1232 153 हनुमानजी द्वारा अिोक-वारटका-चवध्वंस, अिय-कुमार-वध और - 17 1240 मेघनाद का हनुमानजी को नागपाि में बाोँधकर सभा में ले जाना 154 हनुमान-रावण-संवाद - 20 1245 155 लंकादहन - 24 1251 156 लंका जलाने के बाद हनुमानजी-का सीताजी से चवदा माोँगना - 26 1254 और िूड़ामचण पाना 157 समुंर के इसपार आना, सबका लौटना, मधुवन-प्रवेि, सुग्रीव- 1 28 1255 चमलन, श्रीराम-हनुमान-संवाद 158 श्रीरामजी का वानरों की सेना के साथ िलकर समुंरतट पर - 34 1265 पहिोँ ना 159 मन्दोदरी-रावण-संवाद 1 36 1268 160 रावण को चवभीषण का समझाना चवभीषण का अपमान - 37 1271 161 चवभीषण का भगवान् श्रीरामजी-की िरण के चलए प्रस्थान और - 41 1277 िरण-प्राचप्त 162 समुंर पार करन े के चलये चविार, रावण-दतू िुक का आना और 3 50 1289 लक्ष्मणजी के पत्र को लेकर लौटना 163 दतू का रावण को समझाना और लक्ष्मणजी का पत्र दने ा - 53 1294 New Format-JLM-2018

See more

The list of books you might like

Most books are stored in the elastic cloud where traffic is expensive. For this reason, we have a limit on daily download.