इस पुस्तक की आकृतियाँ सड़कों के किनारे और मंदिरों के बाहर हिंदू देवताओं की तसवीरें बेचनेवाले लोगों से ली गई हैं। कला के इतिहासकारों ने बताया है कि किस तरह राजा रवि वर्मा जैसे कलाकारों और उन्नीसवीं सदी की मुद्रण टेक्नोलॉजी ने इन तसवीरों को पूरे भारत के हिंदुओं के लिए सुलभ बनाया और किस तरह आम आदमी के मानस में ये तसवीरें बैठ गईं। और अंत में, सभी हिंदू चीजों की तरह पुस्तक में दी गई व्याख्या इस कला को देखने का महज एक तरीका है। इस पुस्तक को यह ध्यान में रखते हुए पढ़ें